एक खामोश सा तराना हूं

 

एक खामोश सा तराना हूं  ।

ये ना समझो के मैं दिवाना हूं  ।।

गुल, बहारों से बेखबर फिर भी ।

जिन्दगी का सफर सुहाना हूं  ।।

रब ने लाखों बरस जो पहले लिखी ।

उसी तकदीर का फसाना हूं  ।।

जाने क्या दौर अब करे आगे ।

मैं तो गुजरा हुआ ज़माना हूं ।।

तुझसे अहवाल क्या कहूं ऐ दोस्त ।

एक किस्सा वही पुराना हूं ।।

                         Composed by "Imran Falak"


Ek khamosh sa tarana hooN

Ye na samjho ke main diwana hooN

Gul, baharoN se bekhabar fir bhi

Zindagi ka safar suhana hooN

Rab ne lakhoN baras jo pehle likhi

Usi takdeer ka fasana hooN

Jane kya daur ab kare aage

Main toh guzra hua zamana hooN

Tujhse ahwal kya kahooN ai dost

Ek kissa vohi purana hooN












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