ए खुदा इल्म ऐसा अता हो
हम से रोशन ये सारा जहां हो
हम सितारों सा चमके ज़मीं पर
और मुनव्वर वहां आसमां हो
ए खुदा इल्म ऐसा अता हो
हम हों गुलशन वो फूल या रब
जिन पे सारा चमन ही हो नाजां
हम से फैले हवाओं में खुशबू
और मोअत्तर ज़मीनो ज़मां हो
ए खुदा इल्म ऐसा अता हो
जिस्म सुन्नत से आरास्ता हो
कल्ब में कुछ ना तेरे सिवा हो
हम नबी के हों नक्शे क़दम पर
ज़िन्दगी ये सहाबा नुमा हो
ए खुदा इल्म ऐसा अता हो
हम नमाज़ी हों गाज़ी हों या रब
हम में ज़ाहिद मुजाहिद हों या रब
हाथ में हो तेरे दीं का परचम
होसलों को बुलन्दी अता हो
ए खुदा इल्म ऐसा अता हो
हम से रोशन ये सारा जहां हो
हम सितारों सा चमके ज़मीं पर
और मुनव्वर वहां आसमां हो
No comments:
Post a Comment
Please comment करें