घटा बनके फिर दिल पे छा ही गए तुम
ये मेरा वहम है या आ ही गए तुम
निगाहों से कुछ तो करो अर्ज़ हमदम
मैं हंस दूं या रोऊं या हो जाऊं बरहम
ये पलकें झुकाना बहुत ख़ूब है पर
उठा दो इन्हें गर बदल जाए मन्ज़र
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